लोकतंत्र के लिए उचित नहीं नोटा।

भारतीय लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।  स्थिर व स्थाई लोकतंत्र का विश्व में सबसे बड़ा उदाहरण हमारा देश "भारत" है। किसी भी राजनीतिक चिंतक ने आजादी के बात स्थिर लोकतंत्र की कल्पना नहीं की होगी क्योंकि भारत मे अनेक प्रकार की विविधताएं हैं, लेकिन इसके बावजूद भी लोकतांत्रिक मूल्यों  पर जनआस्था अपने आप में बेहतरीन उदाहरण है। भारतीय राष्ट्रीय एकता का अर्थ असमानताओं को खत्म करके समानता स्थापित करना नहीं बल्कि असमानताओं में सामंजस्य स्थापित करना सच्ची राष्ट्रीय एकता का आधार है। विश्व के लिए भारतीय लोकतंत्र एक आदर्श है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए लोकतांत्रिक समाज का होना जरूरी है और यही प्रबल आधार भारत मे स्थाई लोकतंत्र और लोक आस्था का है कि भारतीय समाज सभ्य और परिपक्व है। इसी कारण हमारा लोकतंत्र स्थिर है।


लेकिन जबसे चुनाव में राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के प्रति असंतोष प्रकट करने के लिए नोटा की व्यवस्था की गई तबसे इसका राजनीतिक दुरूपयोग करके सामाजिक एकता को खंडित करने का प्रयास किया जा रहा है जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर हो रही है।  मजबूत लोकतंत्र का आधार अधिक जनसहभागिता और लोकतंत्र के प्रति पूर्ण आस्था है, लेकिन नोटा निराशा की ओर संकेत करता है। इससे लोकतंत्रिक संस्कृति को बहुत नुकसान सहन करना पड़ रहा है। देश के हर जिम्मेदार नागरिक को चाहिए कि अधिक से अधिक मतदान करके नोटा का कम प्रयोग करें।

भारतीय लोकतंत्र की मजबूती के लिए हर उचित प्रयास होने चाहिए। इसमें युवाओं की भूमिका सबसे ज्यादा रहेगी। देश का युवा ही परिवर्तन का आधार होता है। आइए प्रण लें कि हम मिलकर शत प्रतिशत मतदान सुनिश्चित करें और लोकतंत्र को सशक्त करने के लिए अपने मत का प्रयोग करें।


(लेखक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के छात्र हैं।)

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