भारतीयता विरोधी विचारधारा वामपंथ का आधार।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है ! यहाँ पक्ष विपक्ष मत और सरकार की नितियों पर आलोचना हर समय अपेक्षित रहती है ! नीति पर चर्चा उसके पक्ष - विपक्ष पर अपनी प्रतिकिया देना राजनीतिक दलों की कार्यशैली का तरीक़ा है !

लेकिन वामपंथ संगठनों की विचारधारा भारत विरोधी संस्कृति अमान्य बन चुकी है। जिसके अनेक प्रमाण सामने हैं। भारत माता के नारे से परेशानी ओर भारत विरोधी नारों के प्रति उदार दृष्टिकोण इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। वर्तमान केंद्र सरकार की किसी एक भी नीति का स्वागत या तारीफ़ वामपंथी विचारधारा समर्थक संगठनों ने नहीं की है, क्या एक भी योजना स्वागत योग्य नहीं रही? यह सवाल होना चाहिए वामपंथी विचारधारा के सिद्धांत में राष्ट्रवाद का विरोध मोज़ूद है। केवल उन आंकड़ों को समाज के सामने प्रस्तुत करना जो आँकड़े इस विचारधारा को सही साबित करते हैं उनका निरंतर प्रचार यह वामपंथी विचारधारा की योजना पूर्ण कार्य का एक भाग है।



बाकी सभी राजनीतिक दलों ने देश हित मामलों में साफ़ और स्पष्ट विचार प्रस्तुत किए हैं लेकिन केवल वामपंथ विचार जब सता में होते हैं तो किस प्रकार विरोधी पक्षों पर अत्याचार बरसाते हैं वो किसी से छिपे नहीं है। चाहे वो केरल में राजनीतिक हत्याएं हो या विरोधी पक्षों पर हिंसात्मक करवाई हो। इसमें वामपंथी विचारधारा बाक़ी सभी विचारधाराओं से अलग खड़ी नज़र आती है।
वामपंथी विचार समर्थक विरोधी पक्षों के विचारों को सुनना पाप मानते हैं। केवल हर पक्ष के नकारात्मक पहलुओं को आधार बना कर समाज में विभाजक तत्व का कार्य कर रहे हैं। यह राजनीतिक परम्परा देश की एकता के लिए सही नहीं है। जब तक इस विचारधारा के पक्ष में आप बोलेंगे आप बौधिक स्तर पर सक्षम लेकिन जब अपने राष्ट्रवादी पक्षों का समर्थन करेंगे तब आप सभ्य और शिक्षित नहीं। इस प्रकार की मानसिकता के साथ वामपंथी विचारधारा देश के अंदर कार्य कर रही है।
हिंसा वामपंथी विचारधारा का समानांतर बन चुकी है, जो सहन योग्य और राष्ट्रविरोधी चेहरा अख़्तियार कर चुकी है।

(लेखक हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के छात्र हैं।)

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